ऐसी ऐतिहासिक व पौराणिक मान्यता हैं कि बाबा [2] महेन्द्रनाथ मंदिर के इस प्राचीन शिवालय स्थित शिवलिंग पर जल चढ़ने मात्र से सारी अभिलाषाएं पूरी होती है। जिसको पुत्र नहीं उनको पुत्र की प्राप्ति होती हैं तथा [3] चर्मरोग के रोगियों को भी उसकी बीमारी से छुटकारा मिल जाता है । कहा जाता है कि करीब ५०० साल पहले नेपाल नरेश महेंद्रवीर विक्रम सहदेव को कुष्ठरोग से ग्रसित थे । वे अपने कुष्ठरोग का इलाज़ के लिए वाराणसी जा रहे थे और अपनी वाराणसी यात्रा के दौरान घने जंगल में आराम करने के लिए एक पीपल के पेड़ के निचे रूके। आराम करने से पहले हाथ मुंह धोने के लिए पानी खोज रहे थे। बहुत देर तक खोजने के बाद उन्हें एक छोटे गड्ढे में पानी मिला। राजा विवश हो उसी से हाथ-मुंह धोने लगे। जैसे ही गड्ढे का पानी कुष्ठरोग से ग्रस्त हथेली पर पड़ा, हथेली का घाव व कुष्ठरोग गायब हो गया । उसके बाद राजा ने उसी पानी से स्नान कर लिया और उनका कुष्ठरोग ठीक हो गया। विश्राम करते हुए राजा वही सो गए और उन्हें स्वप्न में भगवान शिव आये और वहाँ ( पीपल के वृक्ष के नीचे ) होने के संकेत दिए। फिर राजा शिवलिंग को ढूंढने के लिए लिए उस स्थान पर मिट्टी खुदाई करवायी और उन्हें उस स्थान पर शिवलिंग मिला ।पीपल के पेड़ के नीचे से शिवलिंग को निकालकर राजा ने शिवलिंग को अपने राज्य में ले जाने की सोची तो उसी रात भगवान शिव जी ने राजा को पुन: स्वप्न में आकर कहा कि तुम शिवलिंग की स्थापना इसी जगह पर करो और मन्दिर का निर्माण करवाओ। बाद में स्वप्न में आए शिव जी के कथनानुसार अनुसार राजा ने वहीं 552 बीघा में पोखरा खोदवाया और शिव मन्दिर का स्थपना करवाया जो आगे चलकर [4] मेंहदार शिवमंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। बड़े पोखरा (सरोवर) की खुदाई में राजा ने एक भी कुदाल का प्रयोग नहीं करवाया और उसकी खुदाई हल और बैल से करवाया। यह मन्दिर बिहार का लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। मेंहदार में [5] महेंद्रनाथ बाबा के लिए गोपालगंज, छपरा, मोतिहारी, बेतिया, मुजफ्फरपुर, हाजीपुर, वैशाली, गया, आरा, कोलकाता, झारखण्ड व उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त नेपाल से भी लोग आते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर , पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इच्छाओं को पूरा करने के लिए यहां मत्था टेक चुके हैं और रुद्राभिषेक भी कर चुके हैं। यहां से लोगों की अपार आस्था जुड़ी हुई है। महाशिवरात्रि व श्रावण मास में यहां वैद्यनाथ धाम जैसा दृश्य रहता है ।