आई फ्लू क्या है आखिर क्यों हो रही हैं लोगों की आँखे लाल? समाधान और लक्ष्ण

Murari Kumar
Murari Kumar - Senior Content Writer
Eye Flu

            आई फ्लू क्या है आखिर क्यों हो रही हैं लोगों की आँखे लाल? समाधान और लक्षण  :-

EYE FLU
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यूं कहे तो हर मौसम में ही लोग काला चश्मा लगा ही लेते हैं, लेकिन दिन में लगाते हैं। यह बात तो अमूमन दिखाई देती है या तो तब लगाते हैं जब बहुत ज्यादा रोशनी उन्हें लग रही हो। बहुत ज्यादा लाइट में खड़े हों या बैठे हों या वहाँ मौजूद हों, लेकिन अंधेरे में कोई नहीं लगाता। रात के समय अमूमन कोई नहीं लगाता है। लेकिन हमने पिछले कुछ दिनों में देखा है कि लोग रात में भी काला चश्मा लगा रहे हैं। जहां बहुत ज्यादा रोशनी नहीं है, वहां पर भी काला चश्मा लगा रहे हैं। जिसके पीछे का कारण है आई फ्लू, जिसे हम पिंक आई के नाम से आजकल जान रहे हैं। तो आखिर यह पिंक आई क्या है या आई फ्लू किस तरह से हो रहा है लोगों को और कैसे इससे बचा जाए और कैसे यह होता है इन सब चीजों को आज हम जानेंगे :-

जब लोगों की आंखे लाल या गुलाबी दिखाई देने लगाती है तो लोग अंदाजा लगाने लग रहे है  है कि शायद इसे आईफ्लू हुआ है। कुछ और कारण भी हो सकते हैं। लेकिन अभी जो चर्चा में है, जो वायरल हो रहा है, वह यही हो रहा है कि आई फ्लू में लोगो की आंखे लाल हो जाती है, खुजली होती है और बहुत सारी चीजें हैं उसको हम समझेंगे तो खबर भी यही है। खबर है कंजक्टिवाइटिस केसेस अंदर राइस व्हाट इज द इंफेक्शन? अब कंजक्टिवाइटिस कहां से आ गया? दरअसल यही जो आईफ्लू है, इसी को हम कहते हैं कंजक्टिवाइटिस। तो हम यह समझ लें कि इसका जो नाम है, जो चर्चा में आईफ्लू है, उसे हम क्या कहते हैं। कंजक्टिवाइटिस तो आखिर इसके मामले  लगातार क्यों बढ़ रहे हैं? इसे हम अच्छी तरह से समझेंगे और बहुत सारी चीजों को जानेंगे।

 

आई फ्लू क्या है आखिर क्यों हो रही लोगों की आँखे लाल?

अब देखिए मैंने आपसे बताया आंखों से इसका सीधा सीधा मतलब है इसको हम पिंक भी बोलते हैं। या तो आईफ्लू भी बोलते हैं। दरअसल आंखों के जो सफेद हिस्से की, वहां पर वह जो हिस्सा होता है, उसके ऊपर उसकी सुरक्षा के लिए लेयर होती है। ट्रांसपैरंट लेयर होती है पतली सी। उसको बोलते कंजक्टिवाइटिस। अब यह जो कंजर्वेटिव होती है। वह जो है जब प्रभावित हो जाती है वायरस की वजह से, बैक्टीरिया की वजह से या एलर्जी की वजह से। गंदगी की वजह से तो ऐसी स्थिति में होता है कि यह कनेक्टिव जैसे ही प्रभावित होगी। इसी से बीमारी का नाम बनेगा। कंजक्टिवाइटिस ठीक है तो हमारी जो आंखों में जो जो सफेद रंग का हिस्सा होता है, उसकी रक्षा के लिए, उसकी सुरक्षा के लिए ही कनेक्टिव होती है और वही प्रभावित हो जाती है जिससे सफेद की जगह हमें लाल दिखाई  देने लगती है। या तो थोड़ी सी पिंक में दिखाई देने लगती  आई फ्लू कहते हैं। लेकिन बात सिर्फ इतनी नहीं है। लक्षण सिर्फ इतना ही नहीं है और बहुत सारी चीजें हैं, वह भी हम समझेंगे। तो अभी हम इसको इस बात की तरह से भी जान सकते हैं कि इसे एपिडेमिक कहते हैं। एपिडेमिक क्या है?

आपने पैनिक सुना होगा एक और शब्द एपिडेमिक इसको समझ लीजिए।  ऐसी बीमारी जो एक समुदाय आबादी क्षेत्र के अंदर बड़े पैमाने पर लोगों को प्रभावित करती है। यह काम तो कोरोनावायरस भी कर रहा था जिसे हम पहले भी कह रहे थे। जब कोई इस तरह की बीमारी जो बड़े समुदाय आबादी क्षेत्र को प्रभावित करती और एक देश से दूसरे देश तक पहुंच जाती है ,तो वह पेंडेंसी का रूप ले लेती है, महामारी का रूप ले लेती है |अब देखिए इसकी जो प्रमुख कारण है वह क्या है? अभी लगातार ऐसा क्यों हो रहा है इसको हमलोगों  को समझना जरूरी है। अभी वर्षा का  मौसम हैं  तो इस बारिश के मौसम में तापमान जो है यानी कि टेंपरेचर जो है वह कम हुआ कुछ लेकिन जो नमी है वह काफी ज्यादा बढ़ी है। यह नमी काफी ज्यादा बढ़ी। तापमान कम हुआ तो ऐसी स्थिति में आई फ्लू होने के चांसेस काफी ज्यादा हो गए। बैक्टीरिया वायरल होने के चांसेस काफी बढ़ गए, जिनकी वजह से यह आई फ्लू हुआ। मैंने आपसे क्या बताया था कि आखिर यहां पर आप देखेंगे तो यह सफेद हिस्सा लाल हो जाता है। इसको थोड़ा सा और आगे समझेंगे कि और क्या कंडीशन आती है। आपसे अगर यह पूछा जाए कि कितने दिन तक रहता है तो सामान्यतः पाँच दिन से लेकर के दो हफ्ते तक भी रहता है और किसी किसी कंडीशन में एक महीने तक चला जाता है।

कारण क्या है और उसके बाद लक्षण क्या क्या हैं?

अब समझते हैं इसके कारण तीन कारण हैं। पहला है वायरल कंजक्टिवाइटिस। इसको समझ लेते हैं। सर्दी खांसी से जुड़ा हुआ खांसी भी नहीं बोलेंगे। सर्दी जुकाम से जुड़ा हुआ जो कंजक्टिवाइटिस होता है। ऐसी स्थिति में लोगों को क्या होगी, कैसी स्थिति रहेगी, सर्दी वाली स्थिति रहेगी। उन्हें सर्दी ही महसूस होगी। इसको हम बोलेंगे वायरल कंजक्टिवाइटिस। जब सर्दी हमें महसूस हो रही हो और उसके साथ में हमारी जो स्वस्थ आंखें थी, वह यहां पर लाल हो जाएंगी तो हम बोलेंगे वायरल कंजक्टिवाइटिस। यहां पर आंखों से पानी भी निकलेगा और वह पतला होगा। पानी होगा, सामान्य पानी निकलेगा। आंसू की तरह निकलता हुआ दिखाई देगा। और भी बहुत सारी चीजें होंगी। खुजली भी होगी और दर्द भी होगा। देखने में दिक्कत होगी। यह सारी चीजें होंगी। लेकिन जो पहचान है वायरल, बैक्टीरियल, एलर्जिक में, उसको हम इस तरह से पहचान सकते हैं कि वायरल की स्थिति में आंखों से पानी निकलेगा जो कि काफी पतला होगा। अब बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस की बात करें। बैक्टीरियल में क्या होगा? यहां पर भी यह जो सफेद हिस्सा है, यह आप देखेंगे तो यह जो है लाल हो जायेगा | कभी कभी सूखा सूखा रहेगा। यह आंखों में इतनी परेशानी करेगा कि सुबह सुबह उठने पर लोगों की आंखें चिपचिपी हो जाएंगी। अच्छे से खुलेंगी नहीं। आंखें खोलने में दिक्कत होगी। खुल भी गई तब भी चिपचिपी काफी रहेंगी। काफी गाढ़ा हुआ तो दोनों में अंतर आप समझ गए। बैक्टीरियल में इस तरह से होता है और तीसरा होता है एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस। यह आपका यहां पर एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस में भी जो डिस्चार्ज होता है, वह काफी पतला होता है। बैक्टीरियल में स्पेशली आप देखेंगे तो आंखें चिपचिपी होंगी। काफी गाढ़ा डिस्चार्ज होगा। यलो या ग्रीन कलर का होगा यह। इन तीनों में प्रमुख अंतर हमें दिखाई देता है। अब वायरल वाले में तो मैंने आपसे कहा था सर्दी जुकाम वाली स्थिति भी दिखाई देगी, लेकिन एलर्जी वाले में वैसी नहीं दिखाई देगी। इसकी तुलना में इसका अलग रहेगा और इसका इलाज अभी थोड़ी थोड़ी स्थिति अलग रहती है। वायरल वाला सामान्य रूप से जो ज्यादा लोगों में हुआ है वह वायरल वाला हो रहा है लेकिन अगर बैक्टीरियल वाला होता है तो यह बहुत ज्यादा परेशान करता है और थोड़ा सा लंबा भी खिंच जाता है। तो यह तो हमारे पास कारण रहे।

अब हम देखते हैं लक्षण जो मैंने आपसे बताया। आंखें लाल हो जाती हैं, उसके अलावा खुजली होती है, आंखों से पानी आता है, आई डिस्चार्ज होता है ग्रीन या येलो में। उसके अलावा लाइट में देखने में काफी मुश्किल होती। लाइट पड़ती है तो काफी दिक्कत होती है। आंखों के नीचे, ऊपर दोनों तरफ क्या होगा? थोड़ी स्वेलिंग भी आ जाएगी, दर्द भी रहेगा और यह काफी ज्यादा भी हो सकता है। परिस्थिति के अकॉर्डिंग किसी किसी को ज्यादा और किसी किसी को कम हो सकता है। पर कुछ लोगों को देखने में भी दिक्कत हो सकती है। ब्लर विजन की समस्या भी आ सकती है।

उसके बाद बचाव के क्या क्या तरीके हैं क्या क्या हो सकते है?

तो इसमें बचाव के क्या तरीके हैं?  किसी को इंफेक्शन ना हो यह लोगों से लोगों में हो जाता है। याद रखिएगा लोगों से। लोगों में। कैसे होता है? वह जो डिस्चार्ज होता है। आप खून में डिस्चार्ज होता है तो आंखों से पानी निकलता है या लूज ग्रीस डिस्चार्ज होता है। लोग वही पर हाथ लगा देते हैं। इचिंग होती तो फिर उसके बाद बहुत अलग अलग जगहों पर उससे चीजों को टच कर लेते हैं। उसके बाद कोई और व्यक्ति उससे संपर्क में आता है तो फिर उसको भी इंफेक्शन हो जाता है। अब यहां पर आपको ये बात पता होनी चाहिए कि अगर यह जो डिस्चार्ज हो रहा है इसके संपर्क में कोई नहीं आएगा तो उसे नहीं होगा। इसीलिए कहा जाता है संक्रमित व्यक्ति से दूर रहा जाए। दूर रहने के पीछे का मकसद यही होता है कि जो संक्रमित है अगर वह थोड़ा अलग रहेगा तो उससे वह अपनी आंखों को अगर टच भी कर ले और कहीं पर भी टच करें और लोग उस जगह को टच ना करें तो उनको नहीं होगा। जैसे वायरल कंजक्टिवाइटिस में होता है, सर्दी जुकाम रहती है तो छींक आती है। थोड़ी बहुत खांसी अगर हुई तो उसकी वजह से जो डिस्चार्ज होगा छीक की वजह से उसकी वजह से भी कहा जाता है कि आई फ्लू हो जाता है। अगर वायरल कंजक्टिवाइटिस है तो हमें ऐसी स्थिति से भी बचना होगा। जो लोग लेंस का इस्तेमाल करते हैं, अगर वह साफ सफाई नहीं रखते हैं तो ऐसी स्थिति में भी दिक्कत हो सकती है। अगर लेंस में आपने साफ सफाई नहीं की, वहां गंदगी रही, धूल मिट्टी रही, उसकी वजह से भी एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस हो सकता है। तो इन सारी चीजों को ध्यान रखना होगा। बहुत सावधानी बरतनी होगी। उसके अलावा हमेशा अपने हाथ हमें खुद भी धुले होंगे, जिससे है आई फ्लू से धुले होंगे। जिसे नहीं उसे भूले होंगे क्योंकि वह संपर्क में ना आ जाए। अगर वह किसी ऐसी वस्तु के संपर्क में आता और उसने अपने आंखों में हाथ लगा दिया तो उसको भी हो सकता है। मास्क पहनना, जरूरी इक्विपमेंट बताना, छींक वगैरा आने से जो डिस्चार्ज होता है उससे भी होने की संभावना है। अब चूंकि नमी के होने से होता है, तापमान में कमी और नमी ज्यादा हो जाती है तो पसीने वाली स्थिति में भी कंजक्टिवाइटिस हो सकता है। तो हमें बारिश में भीगने से बचना होगा और पसीने बहुत ज्यादा निकले तो उससे भी बचना होगा। उसके अलावा जो मना होता है, चश्मा अगर पहनते हैं, चाहे कॉन्टेक्ट लेंस हो तो उसमें भी सावधानी रखनी होगी। हो सके तो कॉन्टेक्ट लेंस का इस्तेमाल कुछ दिनों तक ना ही करें तो बेहतर है। यह तो बचाव की बातें थी। इलाज मुख्य रूप से देखें। इसमें इलाज की कोई जरूरत नहीं है। कुछ समय बाद धीरे धीरे अपने आप ही सही हो जाता है। लेकिन कहीं पर परिस्थिति थोड़ी ज्यादा तकलीफ वाली होती है तो जो भी लक्षण है उसका इलाज कर लिया जाता है। वायरल कंजक्टिवाइटिस है तो उसके लक्षणों के आधार पर उसका इलाज कर लिया बैक्टीरियल है तो उसके लक्षणों के आधार पर एलर्जी है तो कोई आईड्रॉप स्पेशल उसके लिए है तो वह उसका इलाज हो गया। लेकिन इलाज अगर नहीं भी होता है तो यह आंखों को डैमेज नहीं करेगा। कुछ दिनों बाद आंखें वापस से सामान्य रूप से सही हो जाएंगी। अब यहां पर बात आती है कुछ सवालों की जिन्हें हम जान लेते हैं। उससे जुड़ा हुआ जिसे हम मिथक भी कह सकते हैं। क्या सिर्फ आंखों में देखने से हो जाता है कंजक्टिवाइटिस? ऐसा कहा जाता है कि किसी को अगर आईफ्लू है, पिंक आई है, कंजक्टिवाइटिस है और हम उसे देख लें तो हमें भी हो जाएगा। दरअसल ऐसा नहीं है। इसके कहने की वजह दरअसल यह थी कि अगर कोई हमें किसी से हमारी आंखें मिल रही हैं, इसका मतलब हमारे काफी पास में हैं तो हमें उसके पास में नहीं रहना है। दूर रहना होगा। दूरी बनाने की बात प्रमुख है। दूरी बनी रहेगी तो हम उसके जो आंखों से डिस्चार्ज हो रहा है, उसके संपर्क में नहीं आएंगे और आंखों का फ्लू नहीं होगा। लेकिन आंख मिलाने से हो या आंख में देखने से हो जाए तो ऐसा नहीं है। उसके बाद कुछ लोग कहते हैं केवल बच्चों में कम उम्र के लोगों में होता है तो ऐसा भी नहीं है। ज्यादा उम्र के लोगों को भी हो सकता है किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। उसके बाद अगला सवाल आता है अगर आपकी आंखें लाल हैं तो यह कंजक्टिवाइटिस ही है। ऐसा भी जरूरी नहीं है। किसी अन्य बीमारी की वजह से भी आंखें लाल हो सकती हैं, यह जानने वाली बात है। हमें लक्षणों को पहचानना होगा और जरूरत पड़ने पर अगर तकलीफ ज्यादा होती है तो डॉक्टर से संपर्क करने में कोई बुराई नहीं है। तो आज की हमारी जानकारी कैसी लगी कमेंस्ट्स बाक्स में जरुर बताएं ।

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