Bhai Dooj 2023: कैसे हुई शुरु भाई दूज की परंपरा? जानें बेहद दिलचस्प पौराणिक कथा
Bhai Dooj Story: भाई दूज के दिन बहना अपने भाइयों को तिलक लगाकर उन सबकी लंबी आयु तथा सुख समृद्धि की ईश्वर से कामना करती हैं। तिलक एवं आरती के बाद भाई अपनी बहनों को यथा शक्ति उपहार भेंट करते हैं।
Bhai Dooj Puja: भाई दूज पांच दिवसीय दिवाली पर्व का अंतिम दिन का त्योहार होता है। भाई दूज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु एवं सुख-समृद्धि की ईश्वर से मनोकामनाएं मांगती हैं। इस त्योहार को भाई दूज या भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि कई नामों से जाना जाता है।
भविष्य पुराण में लिखा है कि इस दिन यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर पर भोजन करने के लिए आमंत्रण दिया था। इस दिन भाई शगुन के रूप में बहन को उपहार भेंट करते हैं। भाई दूज के दिन मृत्यु के देवता यमराज का पूजा भी होता है। आइए हम आपको बताते हैं जानते हैं कि भाई दूज की परंपरा आखिर कैसे शुरू हुई।
यम एवं यमि की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे, इसके बाद से ही भाई दूज या यम द्वितीया की परंपरा की शुरुआत हुई। सूर्य पुत्र यम एवं यमी भाई-बहन थे। यमुना के कई बार बुलाने पर एक दिन यमराज यमुना के घर पहुंचे। इस अवसर पर यमुना ने यमराज को भोजन कराया तथा तिलक कर उनके खुशहाल जीवन की ईश्वर से कामना की।
इसके बाद जब यमराज ने बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा, तो यमुना ने कहा कि, आप हर वर्ष इस दिन में मेरे घर आया करो और इस दिन जो भी बहन अपने भाई का तिलक करेगी उसे तुम्हारा भय नहीं होगा। बहन यमुना के वचन सुनकर यमराज अति प्रसन्न हुए तथा उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया। इसी दिन से भाई दूज पर्व की शुरुआत हुई। इस दिन यमुना नदी में स्नान का बड़ा महत्व है क्योंकि कहा जाता है कि भाई दूज के मौके पर जो भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करते हैं उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है।
भगवान श्री कृष्ण एवं सुभद्रा की कथा
एक दूसरे पौराणिक कथा के अनुसार भाई दूज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर द्वारिका लौटे थे। इस दिन भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल,फूल, मिठाई तथा अनेकों दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लम्बी उम्र की कामना की थी। इस दिन से ही भाई दूज के अवसर पर बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं तथा बदले में भाई उन्हें उपहार देते हैं।