‘जेल के भीतर इस पृथ्वी की सबसे भयानक जगह है…‘, Raj Kundra ने बताए सलाखों के पीछे के हालात, सुनकर कांप उठेंगे आप !
Raj Kundra On Jail Trauma: राज कुंद्रा ने अपनी फिल्म यूटी 69 के एक प्रमोशन इवेंट के दौरान फिल्म के टॉपिक को लेकर खुलकर अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि कैसे उनके लिए वो एक मुश्किल समय था।
Raj Kundra On Jail Trauma: राज कुंद्रा की बायोपिक यूटी 69 का ट्रेलर रिलीज हो चुका है। फिल्म में स्वयं राज कुंद्रा अपना कैरेक्टर निभा रहे हैं। बतौर एक्टर यह उनकी प्रथम फिल्म है। उनकी फिल्म यूटी 69 राज कुंद्रा के जेल में बिताए 2 महीनों के अनुभव पर आधारित है। ट्रेलर में उनके जेल में बीताये गए मुश्किल दिनों की झलक दिखाई गई हैं तथा उनकी यह फिल्म जिसे शहनवाज अली ने डायरेक्ट किया है, 3 नवंबर दिन शुक्रवार को थिएटर्स में रिलीज की जाएगी।
खुद की फिल्म यूटी 69 के एक प्रमोशन इवेंट के दौरान राज कुंद्रा ने फिल्म के विषय को लेकर खुलकर अपने विचार रखे हैं। उन्होंने बताया कि कैसे उनके लिए वो एक मुश्किल समय था। ऐसे में उनकी वाइफ और फैमिली ने उन्हें इस मुश्किल दौर से निकालने में मदद की। उन्होंने कहा, वो 63 दिन मेरी जिंदगी के सबसे मुश्किल दिन थे, दुआ करता हूं ये दिन किसी को न देखने की जरुरत न पड़े।
‘जेल इस पृथ्वी की सबसे भयानक जगह है‘:-
जेल में अपने साथ हुए व्यवहार और फिल्म में उसे दिखाने को लेकर बात करते हुए राज कुंद्रा ने बताया की , ‘जब आप ब्रिटिश सिटीजन को एक ऐसा सीनारियो में जेल में लेकर आते हैं तो सबकुछ अपने आप में फनी हो जाता है। जिस तरह का खाना आपको दिया जाता है, पानी वाली दाल, रहने की जगह। मेरे घुटनों में प्रॉब्लम है तो मैं इंडियन टॉयलेट में नहीं बैठ सकता था। तो उन्होंने मुझे इंग्लिश टॉयलेट दिया और वो भी इतना डरावना था। आप फिल्म में देखेंगे कि क्या हुआ था मेरे साथ।’ राज ने आगे कहा, ‘जेल ऐसे नहीं है जैसे अमेरिकन जेल और फिल्मों में दिखाते हैं। हमने जेल के एक अंधकारमय सच दिखाया है, ईमानदारी से कहूं तो जेल इस पृथ्वी की सबसे भयानक जगह है।’
आर्थर रोड को बताया डिटेंशन सेंटर :-
आर्थर रोड जेल के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘आर्थर रोड एक जेल नहीं है, यह एक डिटेंशन सेंटर है कि पुलिस के सवालों को कोई टेंपर न कर सके। आप बाहर आते हैं और आपका ट्रायल शुरू होता है। एक डिटेंशन सेंटर में आपको एक अपराधी से भी बुरा ट्रीट किया जाता है जबकि आप केवल आरोपी होते हैं। जो कि मुझे पसंद नहीं आया। लेकिन मेरे ख्याल से मैसेज लाउड और क्लियर है कि इन्हें रिफॉर्म किए जाने की आवश्यकता है।’